भीमराव आंबेडकर का जीवन परिचय
भीमराव आंबेडकर का जीवन परिचय
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भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव में हुआ था
भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव में हुआ था
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भीमराव अंबेडकर दलित परिवार से संबंध रखते हैं जो दलित समाज को एक अछूत माना जाता था
भीमराव अंबेडकर दलित परिवार से संबंध रखते हैं जो दलित समाज को एक अछूत माना जाता था
बाबासाहेब के पूर्वज लंबे समय से ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में काम करते थे
बाबासाहेब के पूर्वज लंबे समय से ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में काम करते थे
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भीमराव अंबेडकर के पिताजी का नाम रामजी सकपाल और माता जी का नाम भीमाबाई था
भीमराव अंबेडकर के पिताजी का नाम रामजी सकपाल और माता जी का नाम भीमाबाई था
बाबासाहेब की शादी 15 साल की उम्र में रमाबाई नाम की लड़की से जो कि 9 वर्ष की थी उनसे विवाह हो गया था
बाबासाहेब की शादी 15 साल की उम्र में रमाबाई नाम की लड़की से जो कि 9 वर्ष की थी उनसे विवाह हो गया था
भीमराव अंबेडकर के पास कुल 32 डिग्रियां थी और उन्हें 9 बसों का ज्ञान भी था और अर्थशास्त्र राजनीतिक में डिग्रियां हासिल कर रखी थी
भीमराव अंबेडकर के पास कुल 32 डिग्रियां थी और उन्हें 9 बसों का ज्ञान भी था और अर्थशास्त्र राजनीतिक में डिग्रियां हासिल कर रखी थी
बाबासाहेब ने 1926 में दलित समाज के साथ आंदोलन शुरू किया और दलित समाज के सबसे बड़े नेता बन गए थे
बाबासाहेब ने 1926 में दलित समाज के साथ आंदोलन शुरू किया और दलित समाज के सबसे बड़े नेता बन गए थे
उन्होंने दलित समाज के लिए एक अलग ही अपनी राजनीतिक पहचान बना ली 8 अगस्त 1930 को दुनिया के सामने एक दलित नेता के रूप में प्रस्तुत हुए थे
उन्होंने दलित समाज के लिए एक अलग ही अपनी राजनीतिक पहचान बना ली 8 अगस्त 1930 को दुनिया के सामने एक दलित नेता के रूप में प्रस्तुत हुए थे
बाबासाहेब ने 1936 में स्वतंत्र लेबर पार्टी बनाई थी और 1937 में केंद्रीय विधान सभा में उन्होंने 15 सीटें जीती थी
बाबासाहेब ने 1936 में स्वतंत्र लेबर पार्टी बनाई थी और 1937 में केंद्रीय विधान सभा में उन्होंने 15 सीटें जीती थी
बाबासाहेब 14 अक्टूबर 1968 को मधुमेह रोग से पीड़ित थे अक्टूबर 1956 तक बीमार हो गए और 6 दिसंबर 1956 को दिल्ली के घर में अपनी आखिरी सांस ली
बाबासाहेब 14 अक्टूबर 1968 को मधुमेह रोग से पीड़ित थे अक्टूबर 1956 तक बीमार हो गए और 6 दिसंबर 1956 को दिल्ली के घर में अपनी आखिरी सांस ली
7 दिसंबर को बाबासाहेब के अंतिम संस्कार को साक्षी मानकर 10 लाख अनुयायियों ने एक साथ बौद्ध धर्म को अपनाया. यह इतिहास में पहली बार हुआ।
7 दिसंबर को बाबासाहेब के अंतिम संस्कार को साक्षी मानकर 10 लाख अनुयायियों ने एक साथ बौद्ध धर्म को अपनाया. यह इतिहास में पहली बार हुआ।
बाबा साहेब के बारे में सम्पूर्ण जानकारी जाने :
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